एक होनहार थिएटर कंपोज़र की उम्र का 30वां पड़ाव करीब है. ज़िंदगी के इस मोड़ पर वह प्यार और दोस्ती की राहों से गुज़रता हुआ वक्त रहते कुछ शानदार रचने का दबाव भी झेल रहा है.
एक होनहार थिएटर कंपोज़र की उम्र का 30वां पड़ाव करीब है. ज़िंदगी के इस मोड़ पर वह प्यार और दोस्ती की राहों से गुज़रता हुआ वक्त रहते कुछ शानदार रचने का दबाव भी झेल रहा है.